प्रणब मुखर्जी रबड़ स्टाम्प वाले राष्ट्रपति नहीं हैं : लालकृष्ण आडवाणी |
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Friday, 04 October 2013 14:53 |
![]() आडवाणी ने अपने ब्लाग में लिखा है, ‘‘इस गैर कानूनी एवं अनैतिक अध्यादेश के वापस होने से देश को विजय मिली है। लिहाजा उसके लिए केवल राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह साबित कर दिया कि संप्रग यह मानकर बहुत बड़ी गलती करती कि राष्ट्रपति के शीर्ष पद पर पूर्व में बैठने वाले अन्य कांग्रेसजनों की तरह वह भी रबड़ स्टाम्प वाले राष्ट्रपति बने रहेंगे।’’ भाजपा के वरिष्ठ नेता का मानना है कि ‘‘राहुल की जीत न केवल प्रधानमंत्री बल्कि संप्रग के अधिकार की अवज्ञा करने तक सीमित है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लिहाजा कैबिनेट द्वारा अनुमोदित अध्यादेश को बकवास करार देने का कलंक न केवल प्रधानमंत्री एवं उनके मंत्रियों पर लगा है, सोनियाजी को भी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी।’’ आडवाणी ने कहा कि भाजपा शिष्टमंडल द्वारा 26 सितंबर को राष्ट्रपति से मिलकर आपत्ति जताये जाने के बाद ‘‘हमें इस बात के स्पष्ट संकेत मिले कि वह इस बात को लेकर संतुष्ट हैं कि उनके हस्तक्षेप के लिए स्थिति उपयुक्त है।’’ भाजपा के वरिष्ठ नेता आडवाणी ने कहा कि गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे, कानून मंत्री कपिल उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि मंत्रियों को बताया गया कि राष्ट्रपति को अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने पर आपत्ति है। इससे मंत्री सजग हो गए। राष्ट्रपति यदि हस्ताक्षर के बिना अध्यादेश को वापस लौटाते तो यह सरकार के लिए बड़ा झटका होता।’’ ‘‘बकवास’’ तथा अध्यादेश को फाड़कर फेंक देना चाहिए जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए राहुल गांधी को आड़े हाथ लेते उन्होंने कहा कि यदि वह सरलता से यह कह देते कि सरकार के निर्णय की समीक्षा किए जाने की जरूरत है तो भी उनका मकसद पूर हो जाता। आडवाणी ने राहुल ने इस बात की एक भी दलील नहीं दी कि अध्यादेश गलत क्यों है। उन्होंने हैरत जतायी कि उनकी बात में ऐसा क्या था कि जिसको लेकर प्रधानमंत्री ने अपने कैबिनेट के साथ विचार किया होगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के हरकत में हरकत में आने कहा, ‘‘संभवत: सोनियाजी ने यह सोचा हो कि इस मकसद के लिए राहुल का इस्तेमाल कर कुछ नुकसान भरपाई की जाए।’’ (भाषा) आपके विचार |