कुमार प्रशांत
जनसत्ता 22 जून, 2014 : त्रिदीप सुहृद की किताब हिंद स्वराज: एक
अर्पण कुमार
जनसत्ता 22 जून, 2014 : कबीर विद्रोही
तवलीन सिंह
जनसत्ता 15 जून, 2014 : कभी युग बदलते हैं इतने चुपके से कि बाद में पता
विष्णु नागर
जनसत्ता 15 जून, 2014 :
उदयन वाजपेयी
जनसत्ता 15 जून, 2014 : मेरे लेख ‘शायद कुछ नया हो’ (25 मई) पर कुछ
अपूर्वानंद
जनसत्ता 15 जून, 2014 : बात पुरानी नहीं, लेकिन चर्चा के काबिल नहीं
कुलदीप कुमार
जनसत्ता 15 जून, 2014 : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के
अशोक वाजपेयी
जनसत्ता 15 जून, 2014 : इस बार लंदन में प्राय: अकेला था: जैसे जिंदगी
केदार प्रसाद मीणा
जनसत्ता 15 जून, 2014 : हिंदी के दलित साहित्य में काफी समय से
संजीव चंदन
जनसत्ता 15 जून, 2014 : महानगरों की व्यस्त जिंदगी में फंसा इंसान
रमेश दवे
जनसत्ता 15 जून, 2014 : डायरी लेखन कितना सर्जनात्मक और आकर्षक हो सकता