
विवेक सक्सेना नई दिल्ली। हरियाणा विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के साथ ही सबसे ज्यादा अनुशासित पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा में कोहराम शुरू हो गया है। प्रदेश पार्टी अध्यक्ष राम बिलास शर्मा के खिलाफ प्रदर्शन किए जा रहे हैं। इस सूची की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इससे पुराने भाजपाई व हाल ही में पार्टी में शामिल होने वाले नेता, दोनों ही बुरी तरह से नाराज हैं। राव इंद्रजीत सिंह जहां अपनी बेटी तक को टिकट नहीं दिला पाए हैं वहीं भाजपा में शामिल होने के पहले 33 टिकटों की मांग करने वाले पार्टी के जाट ट्रंप कार्ड बीरेंद्र सिंह अपनी पत्नी के अलावा किसी को भी टिकट नहीं दिला पाए हैं। हरियाणा में जिस तरह से भाजपा ने 43 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है उससे लगता है कि पार्टी अभी भी यह मान कर चल रही है कि प्रदेश में मोदी लहर चल रही है और उसके सहारे अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव में उसकी नैया पार हो जाएगी। इस सूची की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इससे सभी नेता नाराज हो गए हैं। इनमें से एक चौथाई उम्मीदवार बाहरी हैं। करीब 15 उम्मीदवार जाट हैं व कुछ संघ के करीबी हैं। मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देखने वाले बीरेंद्र सिंह की इतनी दुर्गति हुई है कि उचानाकलां से उनकी पत्नी प्रेमलता के अलावा उनके एक भी समर्थक को उम्मीदवार नहीं बनाया गया है। उनके करीबियों सुभाष कत्याल, नफे सिंह राठी तक को टिकट नहीं मिला है। बीरेंद्र सिंह पिछली बार इस सीट से ओम प्रकाश चौटाला से हार गए थे। अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि वे खुद कहां से चुनाव लड़ेंगे। उनके साथ दर्जनों की तादाद में शामिल हुए समर्थक मायूस हैं। वहीं पार्टी में सबसे पहले शामिल हुए राव इंद्रजीत सिंह की बेटी राव आरती को भी विधानसभा का टिकट नहीं मिला है जबकि उनका नाम तो तय माना जा रहा था। रेवाड़ी से सांसद राव इंद्रजीत सिंह का परिवार पुराना कांग्रेसी है और लोकसभा चुनाव से पूर्व वे भाजपा
में शामिल हुए थे। पुराने नेताओं जैसे जीतेंद्र सिंह काका, रमेश बल्हारा, फूल सिंह खेड़ी के नाम नदारद हैं? बावल से पार्षद गीता ने तो टिकट ने मिलने के कारण पार्टी ही छोेड़ दी है। बडकल से चंदर भाटिया की जगह सीमा त्रिखा को उम्मीदवार बनाए जाने से काफी नाराजगी है। ये लोग पार्टी छोड़ने पर विचार कर रहे हैं। हालत इतने खराब हैं कि प्रदेश पार्टी अध्यक्ष राम बिलास र्श्मा के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन हुआ और कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए, ‘भाजपा का सत्यानाश- राम विलास राम विलास।’ ऐसा लगता है कि अभी तक पूरी तरह से गैर जाट वोटों के आसरे चुनाव में उतरती आई इस पार्टी को अपने इस वोट बैंक पर पूरा भरोसा नहीं है तभी उसने 15 जाट उम्मीदवार खड़े किए हैं। यह जाटों के वोट वे बटोर पाएंगे या नहीं, यह समय ही बताएगा। जी चैनल के मालिक सुभाष चंद्रा को हिसार से टिकट मिलना तय माना जा रहा था पर उनकी जगह कमल गुप्ता को उम्मीदवार बना दिया गया। चर्चा यह है कि भाजपा नेता व उद्योगपति नवीन जिंदल के भाजपा में संबंधों के कारण ऐसा हुआ है। नवीन जिंदल व सुभाष चंद्रा में छत्तीस का आंकड़ा है। उनकी मां व हरियाणा सरकार में मंत्री सावित्री जिंदल हिसार से विधायक हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के जरिए वे उनके खिलाफ हल्का उम्मीदवार खड़ा करवाने में कामयाब हो गए हैं। नाराजगी का आलम यह है कि करनाल से सांसद व पंजाब केसरी के संपादक अश्वनी चोपड़ा तक को कहना पड़ा है कि टिकट गलत बांटे गए हैं और इसका असर चुनाव पर पड़ेगा। भाजपा के ही एक वरिष्ठ नेता का कहना था कि ऐसा लगता है कि पार्टी अभी भी इस गलतफहमी में है कि प्रदेश में नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट पड़ेंगे। हालांकि 90 विधानसभा सीटों वाले राज्य में उसके सिर्फ चार विधायक हैं और उसके पास अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तक नहीं है। ऐसे में सरकार बनाने का उसका सपना कितना सच होगा, यह कहना मुश्किल है।
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