Thursday, 11 September 2014 09:35 |

बंगलूर। एशियाई खेलों से हटने पर टेनिस खिलाड़ियों की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाए गए लेकिन देश के शीर्ष टेनिस खिलाड़ियों ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि उनके सामने भी अपनी ‘रोजी रोटी’ कमाने का दायित्व है। शीर्ष सिंगल्स खिलाड़ी सोमदेव देववर्मन एशियाई खेलों से हटने वाले पहले टेनिस खिलाड़ी रहे। एशियाई खेलों की तारीख एटीपी और डब्ल्यूटीए सर्किट पर कई टूर्नामेंटों से टकरा रही हैं। रोहन बोपन्ना भी बाद में सोमदेव की डगर पर चले जबकि सानिया मिर्जा ने इस मामले में फैसला करने का अधिकार अखिल भारतीय टेनिस संघ पर छोड़ दिया है। एआइटीए ने कहा कि खिलाड़ियों की महत्त्वपूर्ण जरू रतों पर विचार करने के बाद उसने खिलाड़ियों के आग्रह का सम्मान करने और उन्हें एटीपी और डब्ल्यूटीए प्रतियोगिताओं में खेलने की स्वीकृति देने का फैसला किया है जिससे कि उन्हें साल के अंत में होने वाली विश्व चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल सके। अनुभवी खिलाड़ी लिएंडर पेस ने बुधवार को अन्य खिलाड़ियों की ओर से इस फैसले को समझाने की कोशिश की। सर्बिया के खिलाफ डेविस कप मुकाबले से पहले पेस से मीडिया से कहा कि यह मेरी रोजी रोटी है और आखिर मेरी रैंकिंग दुनिया में 35वें नंबर तक गिर जाएगी। इसलिए मुझे अगले साल के लिए अपने काम को लेकर सुरक्षा चाहिए। मुझे अंत में लंबा सत्र खेलना होगा। कुआलालंपुर और तोक्यो में, इन दोनों टूर्नामेंटों की तारीख नौ दिनों के एशियाई खेलों से टकरा रही हैं। पेस ने कहा कि राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा भावना और प्रतिबद्धता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। कई बार के ग्रैंडस्लैम विजेता 41 वर्षीय पेस ने कहा कि जहां तक
देश के लिए खेलने का सवाल है तो मैं 24 साल से अधिक समय से ऐसा कर रहा हूं और मैंने हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया। शुरुआत में मैं खेलने के लिए उपलब्ध नहीं था लेकिन फिर भी यहां मौजूद हूं। अपने करियर को लंबा खींचने के लिए कुआलालंपुर और तोक्यो में खेलना काफी अहम हो गया है। बोपन्ना ने भी कहा कि उनके लिए यह फैसला करना आसान नहीं था।बोपन्ना ने कहा कि एशियाई खिलाड़ी होने के नाते हम इसे लेकर उत्सुक रहते है। लेकिन जैसा कि पेस ने कहा कि यह हमारे लिए मुश्किल साल रहा है। पिछले साल मैं तोक्यो में जीता था इसलिए मुझे वहां अपने खिताब की रक्षा करनी होगी। इसलिए यह कड़ा फैसला था। उन्होंने कहा कि इसका देश का प्रतिनिधित्व करने या नहीं करने से कुछ लेना देना नहीं है। जब भी हमें बुलाया गया अपने देश का प्रतिनिधित्व किया। यह दुर्भाग्यशाली है। पता चला है कि एआइटीए ने मिक्सड डबल्स में सानिया और बोपन्ना की जोड़ी बनाने का प्रयास किया था और कोशिश की गई कि इन्हें देर होने के बावजूद खेलने का मौका मिल जाए। हालांकि ऐसा नहीं हो पाया। शीर्ष खिलाड़ियों को नहीं बदला जा सकता क्योंकि इसकी समय सीमा समाप्त हो गई है। पुरुष वर्ग में अब भारत का प्रतिनिधित्व चार खिलाड़ी युकी भांबरी, सनम सिंह, साकेत माइनेनी और दिविज शरण करेंगे। दूसरी तरफ सानिया की गैरमौजूदगी में महिला वर्ग में भारतीय अभियान की अगुआई अंकिता रैना करेंगी जो 293वीं रैंकिंग के साथ भारत की शीर्ष महिला सिंगल्स खिलाड़ी हैं।
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