
काबुल। भारत ने अफगानिस्तान को भरोसा दिलाया है कि एक मजबूत, स्वतंत्र और समृद्ध देश बनाने में वह उसकी हर संभव मदद करेगा।

दोनों ही देश सुरक्षा, रक्षा और पुननिर्माण कार्य के क्षेत्रों में सहयोग मजबूत करने के लिए सहमत हुए हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज बुधवार को यहां अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई से मिलीं और इस साल नाटो सैनिकों के वापस जाने से पहले राजनीतिक व सुरक्षा हालात पर व्यापक चर्चा की। बैठक के दौरान दोनों देश सुरक्षा और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग मजबूत करने के लिए भी राजी हुए। सुषमा ने काबुल में चार करोड़ डालर की लागत वाले भारतीय दूतावास का उदघाटन भी किया। विदेश मंत्री ने दूतावास भवन का उदघाटन करने के दौरान कहा-‘अफगानिस्तान के लिए बदलाव का यह एक अहम दशक है। भारत हमेशा ही अफगानिस्तान का पहला रणनीतिक साझेदार रहेगा और हमेशा ही अफगान अवाम की एक मजबूत, स्वतंत्र, संयुक्त व समृद्ध अफगानिस्तान की परिकल्पना को साझा करेगा, जिसके लिए कई सारे अफगानिस्तानियों ने बहुत कुछ कुर्बान किया है।’ उन्होंने
कहा कि उनकी परिकल्पना को साकार करने को लेकर अफगान सरकार और इसके अवाम के साथ काम करने के लिए जो कुछ भी संभव है, जो कुछ भी क्षमताएं और साधन हैं, उसके साथ भारत तैयार है। उन्होंने कहा कि भारत यहां पुनर्निर्माण का काम करता रहेगा।करजई के साथ बैठक के दौरान सुषमा ने अफगानिस्तान को विभिन्न चुनौतियों से निपटने में हर संभव मदद करने की भारत की प्रतिबद्धता जाहिर की। उन्हें इस बात से भी अवगत कराया कि भारत एक सार्थक तरीके से इस देश के पुनर्निर्माण में जुटा रहेगा। भारत ने सहायता और पुनर्निर्माण में दो अरब डालर निवेश किए हैं और सैकड़ों अफगान अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है। दोनों ही देशों ने व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने पर भी जोर दिया है। सुषमा स्वराज हवाईअड्डे से सीधे राष्ट्रपति आवास पहुंचीं जहां उन्होंने कई अहम मुद्दों पर करजई से बातचीत की। सूत्रों ने बताया कि अफगान पक्ष ने भारत को अपनी सुरक्षा जरूरतों से अवगत कराया है। करजई भारत को पहले ही एक ‘इच्छा सूची’ दे चुके हैं। (भाषा)
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