Wednesday, 03 September 2014 16:38 |

मुंबई। पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि में उल्लेखनीय सुधार के बावजूद रेटिंग एजेंसी ने आज कहा कि राजकोषीय घाटे और मुद्रास्फीति का ऊंचा स्तर देश की वित्तीय साख के स्तर को ऊपर करने में बाधक बन रही हैं। मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने सिंगापुर से जारी एक परिपत्र में कहा, ‘‘ हमारा अनुमान है कि राजकोषीय घाटा, मुद्रास्फीति मध्यम अवधि में कमजोर बने रहेंगे। हालांकि, मजबूत वृद्धि से साख संबंधी चुनौतियों से पार पाने में मदद मिलेगी।’’ मूडीज की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत रही, जबकि चालू खाते का घाटा 1.7 प्रतिशत रहा। लेकिन राजकोषीय घाटे की स्थिति और मुद्रास्फीति को लेकर अब भी अशंकाएं बरकार है। वर्ष 2014-15 के
बजट में राजकोषयी घाटा 4.1 प्रतिशत सीमित रखने का लक्ष्य है जबकि जुलाई में थोक मुद्रास्फीति 5.19 प्रतिशत और खुदरा मुद्रास्फीति 7.96 प्रतिशत थी। पहली तिमाही में ही राजकोषयी घाटा बजट के लक्ष्य के 61 प्रतिशत तक पहुंच गया है। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने पिछले दिनों कहा था कि पहली तिमाही के घाटे के आंकड़े को पूरे साल का अनुमान लगाना ठीक नहीं होता है। उन्होंने कहा था कि पहली तिमाही का आंकड़ा एक तो पिछले साल के कर रिफंड आदि से प्रभावित होता है दूसरे कंपनियां इस तिमाही में अग्रिम कर का भुगतान कम ही करती है।(भाषा)
|