
इस्लामाबाद। प्रदर्शनकारी नेताओं तक पहुंचने के लिए परदे के पीछे से सरकार की कोशिशें तेज होने के साथ ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मंगलवार को सेना प्रमुख से मुलाकात की। इस बैठक में दोनों ने देश में चल रहे राजनीतिक गतिरोध को तत्काल खत्म करने पर सहमति जताई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद प्रदर्शनकारी कांस्टीट्यूशन एवेन्यू से नहीं हटे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आदेश दिया था कि प्रदर्शनकारी 24 घंटे के भीतर वहां से हट जाएं ताकि न्यायाधीश अदालत तक पहुंच सकें। हालांकि प्रदर्शनकारियों ने एवेन्यू का एक हिस्सा खाली कर दिया है ताकि न्यायाधीश उस रास्ते से आ-जा सकें। लेकिन वे इलाके से नहीं हटे हैं। इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ और कादरी की पार्टी पाकिस्तान अवामी तहरीक (पीएटी) का प्रदर्शन आज 13वें दिन में प्रवेश कर गया।
सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ के साथ प्रधानमंत्री शरीफ की मुलाकात उस वक्त हुई है जब राजधानी इस्लामाबाद में इमरान खान और मौलाना ताहिर उल कादरी के नेतृत्व में हजारों प्रदर्शनकारी बीते कई दिनों से सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया-‘बैठक में वर्तमान स्थिति सहित पूरी सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की गई। सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र हित में वर्तमान मुद्दे को जल्द से जल्द निबटाने की जरूरत पर आम सहमति थी।’ सरकार ने इस बैठक के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी, लेकिन सेना ने दोनों पक्षों से बातचीत के जरिए संकट खत्म करने के लिए कहा है। पंजाब के गवर्नर चौधरी सरवर ने कहा कि तहरीक-ए-इंसाफ और पीएटी प्रधानमंत्री शरीफ के इस्तीफे की मांग पर अड़े हैं। इसी को लेकर गतिरोध है। सरकार चुनाव में धांधली और चुनाव सुधार से जुड़ी सभी मांगों को मानने के लिए तैयार है, लेकिन दोनों दल प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए हैं। उन्होंने कहा-‘मुझे सरकार की ओर से यह काम दिया गया है कि मैं जनाब इमरान खान को इस बात के लिए मनाने की आखिरी कोशिश करूं कि वे लोकतंत्र और देश की अवाम की खातिर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग छोड़ दें। सरवर ने कहा-‘वे
एक महीने के लिए प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में एक महीने के लिए नया प्रधानमंत्री कैसे लाया जाएगा।’पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता यूसुफ रजा गिलानी ने कहा-‘मौजूदा हालात में मार्शल लॉ की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। सरकार को अब कदम उठाना चाहिए और संकट खत्म करना चाहिए, वरना कोई गारंटी नहीं है कि देश में लोकतंत्र बरकरार रहेगा। मैंने पीएमएल (एन) सरकार को सलाह दी है कि वह लोकतंत्र को बचाने के लिए जो कुछ भी कर सकती है, वो करे।’ पीएमएल (एन) के नेता तलाल चौधरी ने कहा-‘जनाब इमरान खान और डॉक्टर कादरी इस्तीफे की अपनी मांग पर नरमी दिखाने को तैयार नहीं है। ऐसे में सरकार को यह मानने को मजबूर होना पड़ रहा है कि उनका एकमात्र एजंडा नवाज शरीफ को हटाना है।’ पीपीपी के महासचिव सरदार लतीफ खोसा ने कहा-‘लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है। इमरान खान अपने रुख से पीछे हटने को तैयार नहीं है। सरकार को इस व्यवस्था को बचाने के लिए बड़ी कुर्बानी देनी चाहिए। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मेरा मानना है कि नवाज शरीफ को लोकतंत्र की खातिर इस्तीफा दे देना चाहिए।’ तहरीक-ए-इंसाफ के महासचिव जहांगीर तरीन ने कहा कि सरकार के पास कदम उठाने के लिए बहुत ज्यादा समय नहीं है। इस व्यवस्था को बचाने के लिए नवाज शरीफ को इस्तीफा दे देना चाहिए। तरीन ने कहा कि शरीफ ऐसा माहौल पैदा करना चाहते हैं जिसमें सेना दखल दे और वे ‘सियासी शहीद’ बन जाएं। उन्होंने साप किया कि जो कुछ भी हो, तहरीक-ए-इंसाफ शरीफ के इस्तीफे के अपने रुख से पीछे नहीं हटेगी। नवाज शरीफ को जाना होगा और उन्हें इस कड़वी सच्चाई को समझना चाहिए। उधर, पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के भाई शाहबाज शरीफ चीन के लिए रवाना हो गए हैं। पीएमएल (एन) के एक नेता ने कहा कि नवाज शरीफ सरकार को बचाने के लिए शाहबाज चीन से मदद मांगेंगे। (भाषा)
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