
ढाका। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अल्पसंख्यक हिंदुओं से अपने अधिकारों की मांग के प्रति दृढ़ रहने तथा बिना सांप्रदायिकता की भावना से राष्ट्रनिर्माण में हाथ बंटाने का आह्वान किया है।
उन्होंने अपने निवास गणभवन पर जन्माष्टमी के अवसर पर हिंदू नेताओं के लिए कल रात आयोजित एक स्वागत समारोह में कहा, ‘‘बांग्लादेश तो आपकी मातृभूमि है, आपने यहां जन्म लिया है। आपके अधिकार हैं .....आप अवश्य ही इस देश में अपने अधिकारों के प्रति बिल्कुल अडिग रहें। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस देश के सभी लोग समान अधिकार से रहेंगे और पूरी स्वतंत्रता के साथ अपने धार्मिक परंपराओं का पालन करेंगे। ’’ प्रधानमंत्री ने हिंदुओं से भगवान कृष्ण, जो सत्य, न्याय और सौंदर्य के पुजारी थे, की भावना से ओतप्रोत अपने धर्म का पालन करने का अपील की। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने संविधान में धर्मनिरपेक्षता की भावना बहाल की और अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के संपत्ति संबंधी अधिकारों से जुड़ी जटिलताओं को दूर करने के लिए विवादास्पद कानून को खत्म किया और यह सुनिश्चित किया कि हर व्यक्ति अपने धर्म का पालन कर पाएं। बांग्लादेश में पांच जनवरी के विवादास्पद चुनाव से व्यापक हिंसा हुई थी जिसमें हिंदू बहुत बड़े पीड़ित
रहे। हसीना की आवामी लीग विजयी रही थी जबकि विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने चुनाव का बहिष्कार किया था। वर्ष 2014 के चुनाव में हसीना ने अल्पसंख्यक पर हमला करने वालों को चेतावनी दी थी कि इन हमलों का पड़ोसी भारत में गंभीर नतीजा होगा। हसीना ने हिंदू समुदाय के नेताओं से कहा कि बीएनपी और जमात ए इस्लामी ने लोगों पर हमले किए । उच्च न्यायालय ने पहले सरकार को हिंदुओं की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाने का निर्देश दिया। उसने प्रशासन से अल्पसंख्यकों पर हाल के हमले में हुए नुकसार पर एक रिपोर्ट भी मांगी। अल्पसंख्यकों के एक बहुत बड़े मंच हिंदू-बौद्ध-ईसाई यूनिटी काउंसिल ने आदेश का स्वागत किया और माना कि नयी सराकर ने इस मुद्दे को उचित महत्व दिया लेकिन अपनी यह मांग दोहरायी कि हिंसा करने वालों पर विशेष त्वरित अदालतों में सुनवाई होनी चाहिए। वर्ष 2012 की जनगणना के मुताबिक देश में 15 करोड़ की आबादी में 8.4 फीसदी हिंदू हैं। (भाषा)
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