
नई दिल्ली। कांग्रेस ने आज योजना आयोग को समाप्त कर उसके स्थान एक नई इकाई गठित करने के राजग सरकार के निर्णय का विरोध करते हुए इसे एकतरफा और आधा अधूरा फैसला बताया और आयोग को समाप्त करने के बजाय इसकी रूपरेखा बदलने की वकालत की। कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि बिना किसी सोच और वैकल्पिक मॉडल पेश किए बगैर योजना आयोग को समाप्त करने की एकतरफा घोषणा करना पूरी तरह से गलत है। यह आधा अधूरा फैसला है। प्रधानमंत्री को इस तरह का निर्णय लेने से पहले देशभर के मुख्यमंत्रियों की राय लेनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक बुलानी चाहिए थी। शर्मा की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब आज ही प्रधानमंत्री ने औपचारिक रूप से लोगों से इस संबंध में राय भेजने के लिए कहा है कि योजना आयोग की जगह नया संस्थान कैसा हो। जब उनका ध्यान इस ओर दिलाया गया कि संप्रग सरकार के वित्त मंत्री रहे पी चिदम्बरम ने पार्टी के इसी मंच से संवाददाताओं को संबोधित करते हुए योजना आयोग के आकार को छोटा बनाने की वकालत की थी, शर्मा ने कहा कि रूपरेखा बदलने और समाप्त करने में अंतर होता है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पहल पर योजना आयोग के पुनर्गठन की योजना शुरू हुई थी और आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने पंद्रह पेज का
नोट तैयार किया था।कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि मोदी हमेशा संघीय ढांचे और राज्यों को सम्मान देने की बात करते हैं और इसलिए उन्हें इस मामले में पहले राज्यों की राय लेनी चाहिए थी। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जताया कि नई इकाई का ढांचा तय करने के पहले ही इस तरह की घोषणा कैसे की जा सकती है। उन्होंने कहा कि योजना आयोग के स्थान पर एक नया संस्थान बनाने के संबंध में प्रधानमंत्री अभी भी जनता से राय मांग रहे हैं। स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि योजना आयोग की जगह जल्दी ही एक नया संस्थान बनेगा ताकि मौजूदा आर्थिक चुनौतियों का समाधान हो सके और संघीय ढांचा और मजबूत हो। मोदी ने कहा था ‘‘हमें नई सोच वाले नए संस्थान की जरूरत है, हमें योजना आयोग को नया रंगरूप देने के बारे में सोचना होगा, बहुत जल्द यह नया संस्थान योजना आयोग की जगह पर काम करना शुरू करेगा। आयोग की जगह नया संस्थान बनाने की जरूरत को उचित ठहराते हुए उन्होंने कहा था ‘‘कभी-कभी घर की मरम्मत जरूरी होती है। इसमें बहुत धन लगता है। लेकिन इससे संतोष नहीं होता। फिर हमें लगता है कि नया घर बनाना ही बेहतर है।’’ (भाषा)
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