Tuesday, 19 August 2014 09:23 |

जनसत्ता संवाददाता नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) ने दावा किया है कि सात दिन में करीब दो लाख लोगों ने दिल्ली विधानसभा चुनाव कराने की मांग के समर्थन पत्र पर दस्तखत किए हैं। आप ने कहा है कि भाजपा ने चुनौती दी थी कि कुछ हजार लोगों के कहने से चुनाव नहीं कराए जाते। इसकी प्रतिक्रिया अनगिनत लोगों के दस्तखत के रूप में दी जाएगी। आप के प्रवक्ता दीपक उपाध्याय ने सोमवार को कहा,‘हम हमारा अभियान तब हम तक जारी रखेंगे जब तक कि भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार दिल्ली में चुनाव कराने को तैयार नहीं हो जाती।’ उन्होंने कहा कि चुनाव पर भाजपा का मौन चुनाव हारने के इसके डर को इंगित करता है। दिल्ली विधानसभा के मध्यावधि चुनाव कराने की मांग को लेकर आप ने जनता के बीच जाने का फैसला किया। इसके तहत अभियान चलाया गया है। इस अभियान में जनता से दस्तखत कराए जा रहे हैं कि वे दिल्ली में चुनाव चाहते हैं या नहीं। दस्तखत अभियान के तहत पार्टी के 15 हजार स्वयं सेवक काम में लगे हैं। पार्टी ने 12 अगस्त से पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र से दस्तखत अभियान की शुरुआत की। पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने इस अभियान की शुरुआत की थी। इसके तहत पार्टी के स्वयं सेवक वार्ड के हिसाब घूम रहे हैं। वे जिस क्षेत्र में जाते हैं उस इलाके के लोगों की सूची लेकर
घर-घर पहुंच रहे हैं। तय किया गया है कि सभी 70 विधानसभाओं में यह मुहिम पहुंचाई चलाई जाएगी। जो लोग दिल्ली में विधानसभा के मध्यावधि चुनाव कराने के पक्ष मे हैं वे दस्तखत कर रहे हैं। इसमें लोगों के रुझान को देखते हुए पार्टी ने सोमवार से अभियान में तेजी लाने का फैसला किया। आप मेट्रो स्टेशनों के बाहर भी अभियान चला रही है। सामुदायिक जगहों पर भी स्वयं सेवक लगे हैं। प्रवक्ता ने बताया कि यों तो पार्टी ने तय किया है कि हस्ताक्षर अभियान कम से कम एक पखवाड़े तक चलाई जाए। इसके बाद इसकी समीक्षा कर आगे की रणनीति बनाई जाएगी। लेकिन चुनाव की मांग से संबंधी अभियान तो तब जारी रहेगा जब तक सरकार चुनाव को तैयार नहीं हो जाती। पार्टी ने दिल्ली में चुनाव फिर से कराने की मांग को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ी है। आप ने चुनाव की मांग उपराज्यपाल, अदालत से लेकर राष्ट्रपति तक से की है। इस मांग को लेकर तीन अगस्त को जंतर-मंतर पर रैली भी आयोजित की गई थी। पार्टी ने कहा है कि भाजपा शासित केंद्र सरकार दिल्ली मध्यावधि चुनाव पर चुप्पी साधे हुए हैं। क्योंकि उसे करारी हार का डर सता रहा है।
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