इस्लामाबाद। अपने अड़ियल रूख से पीछे हटते हुए पाकिस्तानी तालिबान ने आज कहा है कि अगर सरकार उसके लड़ाकों को गिरफ्तार करना और फर्जी मुठभेड़ों में मारना बंद कर दे तो वह संघर्षविराम और शांति वार्ताओं के लिए तैयार है।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के प्रवक्ता शाहीदुल्लाह शाहिद ने मीडिया को बताया, ‘‘हमारे लड़ाकों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है और फर्जी मुठभेड़ों में मारा जा रहा है। सरकारी मध्यस्थों के दल को हमारी समिति को यह सुनिश्चित करके देना होगा कि यह सब तुरंत रूकेगा।’’
शाहिद ने आरोप लगाया, ‘‘सरकार ने शांति वार्ताओं के शुरू होने के बाद से अब तक कराची और बाकी पाकिस्तान में एक खुफिया अभियान ‘ऑपरेशन रूट आउट’ के तहत 60 से ज्यादा तालिबानी लड़ाकों को मार चुकी है।’’
शाहिद ने कहा कि संघर्षविराम पर तब पहुंचा जा सकता है जब सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि टीटीपी की मांगें पूरी होंगी।
तालिबान ने संघर्षविराम की शर्त के रूप में पहले गैर-लड़ाकों की रिहाई और दक्षिणी वजीरिस्तान से सैनिकों को हटाने की मांग रखी थी।
मांगों में यह बदलाव प्रतिबंधित संगठन द्वारा उनकी हिरासत में 23 सुरक्षाकर्मियों की हत्या के बाद आया है।
शाहिद ने कहा, ‘‘मोहमंद में सैनिकों की हत्या दरअसल सरकार और तालिबान समितियों के बीच चल रही वार्ताओं के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा तालिबान के सदस्यों की हत्या के जवाब में की गई।’’
वर्षों से चली आ रही आतंकी समूह की हिंसा को अंत करने
वाली शांतिवार्ताएं इस सप्ताह की शुरूआत में उस समय अवरूद्ध हो गई थीं जब 2010 में अपहृत सैनिकों की हत्या कर दी गई थी। टीटीपी के अनुसार ये हत्याएं उनके ‘लड़ाकों’ की पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में हिरासत के दौरान की गई हत्याओं का प्रतिशोध थीं।
पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों ने इस तरह की किसी भी हत्या से इंकार किया है।
हत्याओं के बाद सरकारी मध्यस्थों के चार सदस्यीय दल ने कहा कि वह आतंकियों द्वारा ये घातक हमले जारी रहने पर वार्ता प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ा पाएगा।
सरकार ने वर्षों से चले आ रहे अशांति को खत्म करने के लिए जरूरी वार्ताओं के लिए तालिबान से बिना शर्त के संघर्षविराम की मांग की।
इसी बीच तालिबान द्वारा नामित शांति वार्ता समिति के सदस्य मौलाना यूसुफ शाह ने समझौतों के रास्ते में आए अवरोधकों को तोड़ने की पहल की।
शाह ने पेशावर में संवाददाताओं को बताया, ‘‘लोगों को मध्यस्थों से नाराज नहीं होना चाहिए। प्रक्रिया अभी भी जारी है। हमारे सामने अवरोधक पहले भी था और हम इसे समझदारी के साथ तोड़ने में कामयाब रहे थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मौलाना समीउल हक तालिबान के साथ सीधे संपर्क में हैं। हम किसी भी कीमत पर शांति बहाल कर लेंगे।’’
(भाषा)
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