नई दिल्ली, (जनसत्ता)। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने
सोमवार को दिल्ली वालों को 667 लीटर मुफ्त पानी देने के बाद जनता से किया एक और वादा पूरा कर दिया है। केजरीवाल ने मंगलवार को बिजली की दरें घटाकर पहले के मुकाबले आधी कर दीं। साथ ही तीन निजी बिजली वितरण कंपनियों की नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) से जांच कराने का भी आदेश दिया। इससे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और बिजली वितरण कंपनियों में टकराव की आशंका बढ़ गई है।
अपने आवास पर आयोजित कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संवाददाताओं को बताया कि बिजली की दरें घटाने के बाद 0 से 200 यूनिट के बीच की मौजूदा दर 3.80 के बजाय 1.95 रुपए प्रति यूनिट हो गई है। 201 से 400 यूनिट के बीच खपत करने वाले उपभोक्ताओं को पहले के 5.80 रुपए के बजाय अब 2.90 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से भुगतान करना होगा। इस छूट का फायदा केवल वही उपभोक्ता उठा पाएंगे जिनकी बिजली की खपत 400 यूनिट तक है। दिल्ली सरकार के इस फैसले के बाद सरकारी खजाने से 61 करोड़ रुपए जाएंगे। सरकार के इस फैसले का दिल्ली के 3.61 लाख उपभोक्ताओं में से 28 लाख को फायदा मिलेगा। इस सबसिडी के केवल तीन महीने तक जारी रहने के सवाल पर केजरीवल ने कहा कि आगे का फैसला बिजली कंपनियों की ऑॅडिट रिपोर्ट पर निर्भर करेगा।
बिजली पर सबसिडी देना आप के प्रमुख चुनावी वादों में से एक था। बिजली पर सबसिडी की घोषणा से एक दिन पहले केजरीवाल ने हर महीने 20 हजार लीटर मुफ्त में पानी देने की घोषणा की थी।
खराब सेहत के कारण मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मंगलवार को दिन में दफ्तर नहीं जा सके लेकिन शाम को उन्होंने कैबिनेट की बैठक ली। उसके बाद केजरीवाल ने जो संकेत दिए, उससे साफ हो गया कि अपना दूसरा वादा पूरा करने के लिए वह कुछ कड़े कदम उठा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कैग शशिकांत शर्मा से उनके कार्यालय में जाकर मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने संवददाताओं से कहा कि कैग तीनों बिजली कंपनियों का ऑडिट करने के लिए तैयार है। ये कंपनियां इसके लिए तैयार हैं कि नहीं, यह बताने के लिए उन्हें बुधवार सुबह तक का समय दिया गया है। उन्होंने इस बात का खंडन किया कि इस बारे में फैसला किया जा चुका है और सिर्फ औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। उन्होंने कहा- उसके बाद उपराज्यपाल आदेश देंगे। उन्होंने कहा कि कैग ने उनसे कहा
कि यह सब इस बात पर निर्भर करेगा कि कितना काम है और ये कंपनियां कितनी जल्दी दस्तावेज मुहैया कराती हैं। बिजली कंपनियों में कथित अनियमितताओं का पर्दाफाश करने को लेकर वह कितने आश्वस्त हैं, उन्होंने कहा- ऑडिट उसे सामने लाएगा।
भाजपा और आप बिजली कंपनियों के खाते की कैग से ऑडिट कराने की मांग करती रही हैं। दोनों दलों ने बिजली कंपनियों पर अनियमितता का आरोप लगाया है। जबकि तीनों बिजली कंपनियों बीएसएईएस यमुना पावर लिमिटेड, बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड और टाटा पावर देहली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड ने इसका विरोध किया है। जुलाई में दिल्ली बिजली विनियामक आयोग (डीईआरसी) ने भी कहा था कि तीनों बिजली कंपनियों की वित्तीय हालत की कैग से जांच कराई जानी चाहिए।
इससे पहले दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया था कि मुख्यमंत्री अब बेहतर महसूस कर रहे हैं। जैन ने केजरीवाल से उनके कौशांबी स्थित आवास पर मुलाकात की और उम्मीद जताई कि मुख्यमंत्री बुधवार से शुरू हो रहे विधानसभा के सत्र में शिरकत कर सकेंगे। उन्होंने कहा- हमें कांग्रेस पर विश्वास नहीं है। हमें लगता है कि हमारी सरकार के पास काम करने के लिए बस 48 घंटे हैं।
केजरीवाल ने कहा कि उनकी पार्टी की तरफ से विधानसभा अध्यक्ष के लिए एसएस धीर उम्मीदवार होंगे। उन्होंने कहा- सरकार रहे या नहीं, वह अगले 48 घंटे में लोगों के लिए अधिकतम अच्छा काम करना चाहते हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा- हमें कोई चिंता नहीं कि सरकार रहेगी या नहीं। हम यह मानकर सरकार चला रहे हैं कि हमारे पास सिर्फ 48 घंटे हैं। हम इतने समय में लोगों के लिए अधिकतम अच्छे काम करना चाहते हैं। हल्के-फुल्के अंदाज में उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिनों में उनका स्वास्थ्य तो ठीक हो सकता है लेकिन ये महत्त्वपूर्ण 48 घंटे उनको नहीं मिलेंगे। एक सवाल के जवाब में केजरीवाल ने कहा- उन्हें नहीं मालूम कि भाजपा ने विधानसभा के अस्थायी अध्यक्ष पद को क्यों ठुकरा दिया जो सामान्य तौर पर सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को बनाया जाता है। इस बारे में आपको भाजपा से ही पूछना चाहिए।
|