नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आज राज्य सरकारों को तेजाब और दूसरे क्षयकारी पदार्थो की बिक्री के लिए 31 मार्च, 2014 तक नियम तैयार करने का निर्देश दिया ताकि इनका दुरूपयोग, विशेषकर ठुकराये गए प्रेमियों द्वारा, रोका जा सके।
न्यायमूर्ति आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को तेजाब हमले की पीड़ित को प्लास्टिक सर्जरी सहित सभी उपचार नि:शुल्क उपलब्ध कराने के बारे में भी जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘हम सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को 18 जुलाई के आदेश के तहत दिए गए निर्देशों पर अमल करने और तेजाब की बिक्री को नियंत्रित करने संबंधी केन्द्र सरकार के माडल नियमों के अनुरूप यथाशीघ्र और हो सके तो 31 मार्च, 2014 तक नियम तैयार करने का निर्देश देते हैं।
न्यायालय ने निर्देश दिया कि तेजाब हमले के बारे में प्राथमिकी दर्ज होते ही संबंधित एसडीएम जांच करके ऐसा करने वाले को तेजाब मिलने के स्रोत का पता लगाएगा।
देश में महिलाओं पर तेजाब के हमलों की घटनाओं पर अंकुश लगाने के इरादे से शीर्ष अदालत ने इससे पहले इसे गैर जमानती अपराध बनाने और पीड़ित के लिये मुआवजे की राशि
बढ़ाकर तीन लाख रूपए करने का निर्देश दिया था।
न्यायालय ने कहा था कि तेजाब जैसे पदार्थ की खरीद बिक्री के लिए प्रशासन फोटो पहचान पत्र जारी करेगा और इस पदार्थ की बिक्री 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति को नहीं की जाएगी।
न्यायालय तेजाब के हमले से राजधानी मे 2006 में जख्मी नाबालिग बच्ची लक्ष्मी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है। न्यायालय ने तेजाब की बिक्री सहित इससे संबंधित विभिन्न मुद्दों पर कई अंतरिम निर्देश भी दिए थे।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था, ‘‘हम निर्देश देते हैं कि तेजाब के हमले की पीड़ितों को इलाज और पुनर्वास के लिए संबंधित राज्य सरकार कम से कम तीन लाख रूपए का मुआवजा देगी।’’
न्यायालय ने यह भी कहा था कि तीन लाख रूपए की राशि में से एक लाख रूपए का भुगतान तेजाब के हमले की घटना को राज्य सरकार के संज्ञान में लाये जाने के 15 दिन के भीतर ही करना होगा।
(भाषा)
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