नई दिल्ली। तहलका मामले में भाजपा के प्रहारों का सामना कर रहे कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने आज पलटवार करते हुए कहा कि मुख्य विपक्षी दल और आरएसएस बेवजह उन्हें बदनाम कर रहे हैं जबकि पत्रिका के संपादक तरूण तेजपाल से उनका कोई संबंध नहीं है और ना ही उनकी कंपनी में उनका कोई शेयर है।
विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के इस ट्वीट पर कि ‘‘एक केन्द्रीय मंत्री जो कि तहलका के संस्थापक और पैट्रन हैं, तेजपाल का बचाव कर रहे हैं,’’ सिब्बल ने चुनौती देते हुए कहा, ‘‘जो नेता मेरे बारे में सतही बातें कर रहे हैं उनमें अगर हिम्मत है तो वे मेरा नाम लेकर बताएं।’’
सुषमा ने अपने ट्वीट में किसी का नाम ना लेकर केवल ‘केन्द्रीय मंत्री’ कहा है।
सिब्बल ने सोशल मीडिया में प्रसारित हो रहे उन संदेशों का भी जवाब दिया जिनमें दावा किया जा रहा है कि तेजपाल उनकी बहन का बेटा है और तहलका में कानून मंत्री के 80 प्रतिशत शेयर हैं।
उन्होंने कहा कि इस तरह की बेबुनियाद बातों पर ‘‘मुझे खेद है, मुझे आरएसएस और भाजपा से उम्मीद नहीं थी कि वे इस स्तर पर आ जाएंगे। वे मुझ पर राजनीतिक प्रहार कर सकते हैं, लेकिन वे मेरे परिवार को इसमें ना घसीटें।’’
कानून मंत्री ने संवाददाताओं से कहा, मेरी सिर्फ एक बहन है, आशा नंदा, जो यहां महारानी बाग में रहती हैं।
मेरी और कोई बहन नहीं है।
सिब्बल ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले वह इस तरह की राजनीति में विश्वास नहीं रखते।
उन्होंने कहा कि अगर वह यह याद दिलाएं कि विपक्ष की नेता किस तरह रेड्डी बंधुओं के सिर पर हाथ रख कर उनका बचाव कर रहीं थीं तो? लेकिन देश में हम इस तरह की राजनीतिक बहस नहीं चाहते हैं। ‘‘हम आम चुनाव की ओर बढ़ रहे हैं, हमें मुद्दों पर बात करनी चाहिए।’’
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि विपक्षी दलों को आम चुनाव को इस स्तर पर नहीं ले आना चाहिए कि जैसे उन्होंने आजीवन मिथ्या बोलने के लिए पेटंट का आवेदन कर रखा हो। संभवत: आरएसएस के साथ ऐसा है लेकिन कम से कम विपक्ष की नेता को ऐसे पेटंट का लाइसेंस पाने का आवेदन नहीं करना चाहिए।
तहलका मामले के संदर्भ में उन्होंने कहा कि ऐसा संवेदनशील मामला जब अदालत में चल रहा है तो ये लोग उसे राजनीतिक रंग देने का प्रयास कर रहे हैं। मेरा नाम सिर्फ इसलिए घसीटा जा रहा है क्योंकि मैं उनके नेता के बारे में तथ्यों को रख रहा हूं।
(भाषा)
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