Saturday, 02 November 2013 16:51 |
कोलकाता। लंबे समय से अपने मित्र-मार्गदर्शक रितुपर्णो घोष और उनके निर्देशक सहयोगी नाटककार सुमन मुखोपाध्याय को अपने रचनात्मक विचारों का सागर बताते हुए मशहूर संगीत निर्देशक देबज्योति मिश्रा ने कहा कि दोनों के बगैर टैगोर के गीतों वाला ‘बिश्वभोर गान’ एल्बन संभव ही नहीं था ।
चोखेर बाली के संगीत निर्देशक ने कहा, ‘‘हम हमेशा विचार करते थे कि किस तरह पश्चिमी संगीत का रविन्द्रनाथ के मूल ट्रैक में समायोजन किया जा सकता है, किस तरह वह न केवल
एक मोर्चे पर बल्कि अलग-अलग कोणों से जुड़े थे।’’
उन्होंने बताया कि यह विचार केवल दो वर्ष पहले आया। उन्होंने कहा कि उन्हें रितु और सुमन के बीच इस बारे में कई दफा चर्चा हुई। हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस एल्बम में उनकी भूमिका एक आर्केस्ट्रा कंडक्टर से अधिक कुछ नहीं रहीं।
(भाषा)
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