Friday, 04 October 2013 09:10 |
अमदाबाद। राहुल गांधी ने गुरुवार को मान लिया कि दागी नेताओं से जुड़े अध्यादेश की निंदा करने के लिए उन्होंने जो शब्द चुने वह गलत हो सकते हैं, उनकी भावनाएं नहीं।
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा-मेरी मां ने मुझसे कहा कि मैंने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया वे गलत थे। मैंने जो शब्द इस्तेमाल किए वे सख्त हो सकते हैं, लेकिन भावनाएं गलत नहीं थीं। मैं युवा हूं। अध्यादेश को राहुल के सार्वजनिक रूप से बकवास बता कर कूड़े में फेंक देने की बात कहने और अध्यादेश व संबद्ध विधेयक के खिलाफ बढ़ते विरोध के कारण सरकार को इसे वापस ले लेना पड़ा। राहुल ने कहा कि उन्हें अपनी बात कहने का हक है और दावा किया कि कांग्रेस पार्टी का बड़ा हिस्सा अध्यादेश की वापसी चाहता था। उन्होंने अपनी बात का बचाव करते हुए कहा कि मुझे अपने विचार व्यक्त करने का हक है। कांग्रेस पार्टी का एक बड़ा तबका यही चाहता था। विपक्षी भाजपा की तरफ इशारा करते हुए राहुल ने कहा-किसी गलत बात पर अपनी आवाज उठाने पर मुझे दोषी क्यों ठहराया जा रहा है। दरअसल यूपीए के कुछ घटक दलों, जिनमें राकांपा के शरद पवार और नेशनल कांफ्रेंस के फारुक अब्दुल्ला शामिल हैं ने घटनाक्रम का विरोध किया, जिसकी वजह से कैबिनेट को अपना फैसला वापस लेना पड़ा। अध्यादेश की वापसी के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष ने जो कुछ किया, उसपर राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को सबसे ज्यादा दुख हुआ होगा, जिन्हें चारा घोटाला मामले में जेल की सजा सुनाई गई है। इस बारे में राहुल ने कहा कि मेरी बात हमारे सहयोगियों के लिए नुकसानदेह रही। यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव अध्यादेश पर पुनर्विचार की खुले तौर पर आलोचना कर चुके हैं। मुख्य विपक्षी दल भाजपा इसके विरोध में सर्वाधिक मुखर रही और पार्टी ने यह कहते हुए प्रधानमंत्री से इस्तीफा तक मांग डाला कि अध्यादेश के खिलाफ राहुल के
गुस्से ने प्रधानमंत्री सत्ता को कमजोर किया है। राहुल ने कहा-मामले पर मैंने अपने विचार रखे, इसपर मिली प्रतिक्रियाएं अद्भुत हैं, मैं हैरान हूं। राहुल अगले साल के आम चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में दो दिन की गुजरात यात्रा पर हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि कांग्रेस में गुटबाजी गुजरात में पार्टी की लगातार हार के लिए जिम्मेदार है। राज्य में भाजपा के हाथों पार्टी की लगातार हार की वजह पूछे जाने पर राहुल ने कहा-समस्या बाहरी नहीं है, यह भीतरी है। निश्चित रूप से कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी है। यह दोहराते हुए कि देश के सबसे लोकतांत्रिक संस्थानों की प्रकृति लोकतांत्रिक नहीं है, उन्होंने कहा कि देश का भविष्य कुछ मुट्ठी भर लोगों तय कर रहे हैं। उन्होंने कहा-भारत की आबादी 1.2 अरब है। हालांकि यहां सत्ता का केंद्रीकरण है। केवल कुछ हजार लोग यह तय करते हैं कि विधानसभा और लोकसभा में कौन जाएगा, जो इसके बदले में इस देश का भविष्य तय करते हैं। हम पार्टी में शक्ति का विकेंद्रीकरण कर रहे हैं। पंचायती राज से लेकर मनरेगा तक हम जो भी विधेयक लाए वह सत्ता के विकेंद्रीकरण से जुड़ा है। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा-जब मैं युवा कांग्रेस का महासचिव था, हमने सुधार किए। अब युवा कांग्रेस या एनएसयूआइ का कोई पद शीर्ष या नीचे के स्तर से नहीं आया। लेकिन युवा कांग्रेस और एनएसयूआइ में हमने जो किया उसे हम मुख्य कांग्रेस पार्टी में नहीं कर सकते। यहां ज्यादा पेचीदगी है। लेकिन हमारी दिशा सही है। हमारी दिशा ज्यादा लोगों को शक्ति देने की है। दिन में उन्होंने प्रदेश कांग्रेस, युवा कांग्रेस और पार्टी की छात्र शाखा एनएसयूआइ के पदाधिकारियों से मुलाकात की। वे राजकोट में शुक्रवार को पार्टी नेताओं और पदाधिकारियों से मिलने वाले हैं। (भाषा)
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