Wednesday, 17 July 2013 11:22 |
अहमदाबाद। सीबीआई ने विशेष अदालत के समक्ष आरोप पत्र के साथ जो दस्तावेज सौंपे हैं उसमें उन नौ पुलिस अधिकारियों की रिकार्ड की गई बातचीत शामिल है, जिन्होंने नवंबर 2011 में इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में जांच को बाधित करने की रणनीति पर कथित तौर पर फैसला करने के लिए एक बैठक की थी।
आरोपी और निलंबित आईपीएस अधिकारी जी एल सिंघल ने दो पेन ड्राइव दिये थे जिसमें से एक में उनके और राज्य के तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अमित शाह के बीच रिकार्ड की गई बातचीत थी जबकि दूसरे में नौ अधिकारियों के बीच रिकार्ड की गई बातचीत थी। सीबीआई के अनुसार बैठक महाधिवक्ता के निजी चैंबर में नवंबर 2011 को हुई थी जिसमें महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी, जी एल सिंघल, रोहित वर्मा, सिंघल के अधिवक्ता मित्र, मुख्यमंत्री के सचिव गिरीश मुर्मू, तत्कालीन आईजी :गांधीनगर क्षेत्र: ए के शर्मा, तत्कालीन गृह राज्य मंत्री प्रफुल पटेल, तत्कालीन विधि राज्य मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा, पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह चूड़ासामा और एक अन्य आरोपी तरूण बारोट शामिल थे। आरोप पत्र में कहा गया है,
‘‘उसमें इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में जांच को बाधित करने की रणनीति पर चर्चा हुई थी।’’ उस वक्त गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल मुठभेड़ मामले की प्राथमिक जांच कर रहा था। एसआईटी ने जब कहा कि प्रथम दृष्टया मुठभेड़ फर्जी लगती है तो उसके बाद उच्च न्यायालय ने इसकी जांच सीबीआई को सौंपी। सिंघल और बारोट समेत सात पुलिस अधिकारियों के खिलाफ इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई ने आरोप पत्र दायर किया है। अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 15 जून 2004 को हुई मुठभेड़ में इशरत के मित्र जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लै, अमजद अली राणा और जीशान जौहर भी मारे गए थे। गुजरात पुलिस ने तब दावा किया था कि चारों मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के लिए आए थे। हालांकि, सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में कहा कि मुठभेड़ फर्जी थी और इसे गुजरात पुलिस और खुफिया ब्यूरो ने साथ मिलकर अंजाम दिया। भाषा
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