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Wednesday, 17 July 2013 09:30 |
जनसत्ता ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि तेजाब के हमले की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर उसने तेजाब और दूसरे विषाक्त पदार्थों की खुदरा बाजार में बिक्री को नियंत्रित करने के लिए मौजूदा कानून के तहत ही नियम बनाए हैं।
न्यायमूर्ति आरएम लोढा और न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि गृह मंत्रालय ने रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय से परामर्श करके जहर कानून 1919 के तहत प्रदत्त अधिकारों के अनुसार विषाक्त पदार्थ रखने और उनकी बिक्री के नियम 2013 तैयार किए हैं। अदालत ने कहा कि तेजाब के हमले की घटनाएंं बढ़ रही हैं और इस पर अंकुश लगाने के लिए फौरन कदम उठाने की जरूरत है। इस मसले पर आपस में (केंद्र और राज्य) विचार करें। दो दिन बाद गुरुवार को दोनों रिपोर्ट के मसौदे के साथ आएं। जो नियम बनाए गए हैं उन्हें राज्यों के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा और इसकी अधिसूचना जारी होने व इस प्रक्रिया में अभी और समय लगेगा। तेजाब के हमले में जख्मी नाबालिग लड़की लक्ष्मी की तरफ से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान महान्यायवादी मोहन परासरन ने नए नियमों के कुछ प्रावधानों की ओर अदालत का ध्यान आकर्षित कराया। उन्होंने कहा कि खुदरा बाजार में तेजाब और दूसरे विषाक्त पदार्थों की बिक्री नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त उपाय किए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब सिर्फ लाइसेंस धारक व्यक्ति या फर्म ही ऐसे पदार्थो की बिक्री कर सकेंगे
और खुदरा बाजार में बिकने वाला तेजाब कम हानिकारक होगा क्योंकि इसकी क्षमता कम कर दी जाएगी। आम तौर पर तीन तरह के तेजाब ही मिलते हैं। इनमें हाइड्रोक्लोरिक एसिड को आम बोलचाल की भाषा में नमक का तेजाब कहा जाता है। यह घरों में शौचालयों व स्नानागारों आदि की सफाई में ज्यादा इस्तेमाल होता है। इसका मानव शरीर पर ज्यादा घातक असर नहीं होता। दूसरा तेजाब नाईट्रिक एसिड होता है जिसे बोलचाल की भाषा में शोरे का तेजाब कहते हैं। इसका इस्तेमाल धातु को चमकाने में किया जाता है। पर सबसे खतरनाक तेजाब सल्फ्यूरिक एसिड होता है। जिसे गंधक का तेजाब कहते हंै। यह मानव देह को भीतर तक जला देता है और इसके हमले से आदमी विकलांग हो जाता है। ज्यादा गाढ़ा हो तो आदमी की जान भी ले लेता है। इस तेजाब के पीड़ित को बेइंतिहा तकलीफ होती है। क ायदे से यह तेजाब बाजार में आसानी से मिलना ही नहीं चाहिए। पर स्कूल-कालेजों की प्रयोग शालाओं से इसे शरारती तत्व आसानी से पा जाते हैं। तेजाब के जले लोगों की हालत आसानी से देखी भी नहीं जाती है। तेजाब की तरह ही सल्फास की गोलियां भी बाजार में आसानी से मिल जाती हैं। जिनका सेवन निराश लोग खुदकुशी के लिए करते हैं। हालांकि यह एक कीटनाशक है जिसका उपयोग अनाज को खराब होने से बचाने के लिए होता है।
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