Wednesday, 12 June 2013 14:58 |
वाशिंगटन। एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि भारत की एक अरब से ज्यादा की आबादी को हर पांच साल पर सार्वभौमिक एचआईवी परीक्षण मुहैया कराने से लाखों जिंदगियों को बचाया जा सकता है और इससे किफायती रूप से महामारी का प्रबंधन किया जा सकता है।
यह दावा करने वाले वैज्ञानिकों में भारतीय शोधकर्ता भी शामिल हैं। अध्ययन के अनुसार विशाल आबादी में से हर किसी का परीक्षण कराने से लाखों जानें बच सकती हैं। यह तथ्य ‘‘कॉस्ट इफिकेक्टिवनेस आफ प्रिवेंटिंग एड्स कंप्लीकेशंस’’ :सीईपीएसी: का इस्तेमाल करते हुए भारत में एचआईवी के सावधानीपूर्वक विश्लेषण पर आधारित है। फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका और
अन्य देशों में एचआईवी नीति तैयार करने में इसका उपयोग किया जा रहा है। अध्ययन से जुड़ी डा. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि इस मॉडल से देश को महामारी से लड़ने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि एचआईवी रोकथाम की ओर देश के बढ़ने में परीक्षण का विस्तार प्रमुख प्राथमिकता होगी। नेशनल इंस्टीट्यूट फार रिसर्च इन ट्यूबरक्लोसिस की निदेशक सौम्या ने कहा कि इस अध्ययन से नीति निर्माताओं को बेहतर फैसले लेने में मदद मिलनी चाहिए। भाषा
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