Sunday, 19 May 2013 12:10 |
कोलकाता (भाषा)। तृणमूल कांग्रेस सरकार भले ही अपने शासन के तीसरे साल में कदम रख रही है लेकिन करोड़ों रूपए के चिटफंट घोटाले को लेकर वह एक बहुत बड़ी चुनौती से जूझ रही है।
इस घोटाले ने राज्य में लाखों लोगों पर बुरा असर डाला है। सारदा समूह और इस तरह की कई छोटी चिटफंड कंपनियों के डूब जाने के बाद कई निवेशकों एवं एजेंटों ने आत्महत्या कर ली है। एक ऐसी ही कंपनी के निदेशक की हत्या कर दी गयी। इस तरह, इसकी वजह से मरने वाले लोगों की संख्या 14 हो गयी है । विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि तृणमूल कांग्रेस
समर्थक मीडिया घराने इन चिटफंड कंपनियों द्वारा चलाए जाते हैं तथा सारदा समूह के साथ तृणमूल सांसद कुणाल घोष एवं पार्टी नेतृत्व के एक वर्ग की कथित साठगांठ की वजह से निवेशक इस धोखाधड़ी के शिकार हुए। इस घोटाले की गंभीरता इस बात से आंकी जा सकती है कि इसकी जांच के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने जो श्यामल सेन आयोग बनाया है उसे शारदा समूह के एजेंटों एवं निवेशकों से 60 हजार से अधिक आवेदन मिले हैं।
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